शास्त्र और विज्ञान में अन्तर
विज्ञान के(https://studyfirst2021.blogspot.com/2020/02/whats-sciences-real-mean-hello.html?m=1)इस ज़माने में शास्त्रों की बात बड़े कम लोगों को ही समझ आती है। इस का क्या कारण है वो मुझे नहीं पता। आज का समाज आधुनिक समाज है, और विज्ञान इस आधुनिक समाज का शास्त्र है। मुझे पता है आप लोग बहुत हैरान होंगे, पर ऐसा ही है। नीचे दिए गए तथ्य इस बात को साबित करेंगे।
आज नासा जैसी अमेरिका की एजेंसी भी शास्त्रों पर शोध कर रहें हैं,और हम इस महान विरासत को यूं रास्ते पर शॉड रहें हैं । क्या हमारा फर्ज़ नहीं बनता कि हम भी अपने शास्त्रों से कुश सीखें? महर्षि चाणक्य ने एक बार कहा था कि जो देश अपनी संस्कृति और परपराओं का आदर नहीं करता वो गुलाम हो जाता है।एक बार यह बात सााबित हो चुकी है। ऐसा न हो कि हमें दो बारा भी इसी तरह की घड़ी देेखने पड़े। क्या आप बता सकते हैं कि शास्त्रों में ऐसा क्या है जो इस को खाास बनाता है? जानना चाहते हैं तो मेरी अगली पोस्ट का इंतजारर्ष करें।
विज्ञान के(https://studyfirst2021.blogspot.com/2020/02/whats-sciences-real-mean-hello.html?m=1)इस ज़माने में शास्त्रों की बात बड़े कम लोगों को ही समझ आती है। इस का क्या कारण है वो मुझे नहीं पता। आज का समाज आधुनिक समाज है, और विज्ञान इस आधुनिक समाज का शास्त्र है। मुझे पता है आप लोग बहुत हैरान होंगे, पर ऐसा ही है। नीचे दिए गए तथ्य इस बात को साबित करेंगे।
- हमारा इतिहास लगभग पांच हजार साल पुराना है। विज्ञान ने अबतक उन्हीं बातों या रहस्यों को खोजा है जो शास्त्र खोज चुके हैं।जैसे सौरमंडल में सात गृह हैं, पृथ्वी सूर्य क इर्द - गिर्द घूमती है, सबसे शॉटा परमाणु है। लेकिन विज्ञान इन्हे भी ठीक से समझ नहीं पाया है। जब कि शास्त्र इन सभी के जवाब देता है।
- विज्ञान आज जिसे परमाणु बम कहता है उसे शास्त्र में ब्रह्मास्त्र कहा गया है। लेकिन अन्तर देखिए शास्त्र के पास ब्रह्मास्त्र शोर्ने के बाद उसे वापिस बुलाने की भी तकनीक थी। क्या साइंस के पास है, नहीं।शास्त्र ने इसके उपयोग की भी सीमा तय की थी।लेकिन विज्ञान नहीं कर पाया।
- विज्ञान आज तक मरे व्यक्ति को दोबारा जीवित नहीं कर पाया लेकिन शास्त्र ने भीष्म पितामा और अश्वाधमा जैसे लोगो को सदा के लिए जीवित कर दिया।
आज नासा जैसी अमेरिका की एजेंसी भी शास्त्रों पर शोध कर रहें हैं,और हम इस महान विरासत को यूं रास्ते पर शॉड रहें हैं । क्या हमारा फर्ज़ नहीं बनता कि हम भी अपने शास्त्रों से कुश सीखें? महर्षि चाणक्य ने एक बार कहा था कि जो देश अपनी संस्कृति और परपराओं का आदर नहीं करता वो गुलाम हो जाता है।एक बार यह बात सााबित हो चुकी है। ऐसा न हो कि हमें दो बारा भी इसी तरह की घड़ी देेखने पड़े। क्या आप बता सकते हैं कि शास्त्रों में ऐसा क्या है जो इस को खाास बनाता है? जानना चाहते हैं तो मेरी अगली पोस्ट का इंतजारर्ष करें।
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