Wednesday, February 26, 2020

सुन्दर कविता - हकीक़त जानो

हकीक़त जानो
आसमान में उड़ने वाले, हकीक़त क्या,
ये पक्षियों से पुशो।

भर रहे  उडारी हवा में,
कल वो भी लौट आएंगे।

चले शेर अकेला चाहे ,
पर वार अकेले पे ही करता है।

मतलब नहीं हिम्मत कम उसमें,
बस इस हिम्मत कि उसे सीमा पता है।

रात के अंधेरे में,चमकने वाले,
सितारे वो कहलाते हैं।

सत्य यह भी उतना कि,
रवि रोशनी में गायब वो हो जाते हैं।

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