मंज़िल
सीखने को क्या है,
सीखा तो एक चींटी से भी जा सकता है,
हम तो फिर भी इंसान हैं।
भिडना किसी से,
उसका क्या होगा फायदा,
भिड़ना है तो खुद से भिडो।
मैं बेचारा बनने से,
क्या होगा फायदा,
बनना है तो मददगार बनो।
तुम सोचो अपने बारे में,
करो उम्मीद दूसरों से,
वो सोचें तुम्हारे बारे में।
बुरा नहीं तो अष्चा कहां तक,
जीना नहीं,तो मरना कहां तक।
अंत में बात एक हूं कहता,
मंज़िल जहां है तुम्हारी,
रास्ता भी है वहां तक।
 
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